भारत है हमारा भारत है हमारा,
प्यारी है बहुत जान है ये जान से प्यारा
भारत है हमारा भारत है हमारा
क्यों छोड़ के इस मुल्क को हम जाएं कहीं पर
हक़ रखते हैं हम लोग भी भारत की ज़मीं पर
जिंदा हैं यहीं और मरेंगे भी यहीं पर
हर ज़ुल्म गवारा है, नहीं दूरी गवारा
भारत है हमारा भारत है हमारा
मालूम है किस वास्ते से मशहूर है देहली
क्यूॅं कि वहाॅं मौजूद हैं महबूबे-इलाही
देहली में चला करती है बस उनकी ही मर्जी़
नक़्शा ही पलट जाए अगर कर दें इशारा
भारत है हमारा भारत है हमारा
राजा हो, अपने वक्त़ का, या शाहो-सिकंदर
देखे हैं चढ़ाते हुए अजमेर में चादर
अजमेर में लेटा है कोई मस्त क़लंदर
ख़्वाजा उसे कहते हैं वो: है सब का सहारा
भारत है हमारा भारत है हमारा
कहता था इसे सोने की चिड़िया ज़माना
गाते थे सभी मिल के मुह़ब्बत का तराना
अब बंद करो आग ये नफ़रत की लगाना
इस आग में जल जाए ना ये मुल्क हमारा
भारत है हमारा भारत है हमारा
जो राह में आती है वो: दीवार गिरा दो
जो बिछड़े हुए हैं उन्हें आपस में मिला दो
ऐ शाने-अ़रब सारे ज़माने को बता दो
हम एक हैं, और एक ही ना’रा है हमारा
भारत है हमारा भारत है हमारा
ना’त-ख़्वां:
ह़ज़रत शाने अ़रब मुरादाबादी
भारत है हमारा: एक दिल से छू जाने वाला तराना है जो देशभक्ति और एकता की गहरी भावनाओं को व्यक्त करता है। इस तराने में लेखक ने अपने देश की मिट्टी से गहरा लगाव दिखाया है और भारत को अपनी आत्मा की तरह माना है। तराने की पंक्तियाँ हमें यह एहसास दिलाती हैं कि भारत की ज़मीन पर अधिकार सिर्फ देशवासियों का है, और कोई भी अन्याय या दूरी हमसे सहन नहीं होगी।
शायर ने अपने तराने के ज़रिए यह बताया है कि हम अपने देश से जुदा नहीं हो सकते और न ही किसी भी धार्मिक या साम्प्रदायिक भेदभाव को बर्दाश्त करेंगे। दिल्ली, अजमेर, और अन्य जगहों का ज़िक्र करते हुए, शायर ने यह स्पष्ट किया है कि हर जगह की अपनी खासियत है, और एक साथ मिलकर जीना ही असली भारत की खूबसूरती है।