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हम ने आंखों से देखा नहीं है मगर | उन की तस्वीर सीने में मौजूद है / Humne aankhon se dekha nahi hai Magar naat lyrics

हम ने आंखों से देखा नहीं है मगर,
उन की तस्वीर सीने में मौजूद है
जिस ने ला कर कलामे इलाही दिया
वो मुह़म्मद मदीने में मौजूद है

फूल खिलते हैं पढ़ पढ़ के सल्ले अ़ला
झूम कर कह रही है ये बादे सबा
ऐसी ख़ुश्बू चमन के गुलों में कहाँ
जो नबी के पसीने में मौजूद है

हम ने माना कि जन्नत बहुत है ह़सीं
छोड़ कर हम मदीना न जाएँ कहीं
यूँ तो जन्नत में सब है मदीना नहीं
और जन्नत मदीने में मौजूद है

छोड़ना तेरा तैबा गवारा नहीं
सारी दुनिया में ऐसा नज़ारा नहीं
ऐसा मंज़र ज़माने में देखा नहीं
जैसा मंज़र मदीने में मौजूद है

नात ख़्वां
हाफ़िज़ कामरान क़ादरी


हाफिज कामरान कादरी की नात में मदीना की मोहब्बत और महत्त्व को बेहतरीन ढंग से पेश किया गया है। शायर ने दिल को छूने वाले अंदाज में मदीना की आध्यात्मिक अहमियत को बयान किया है, और कहा है कि हमने भले ही अपनी आँखों से नहीं देखा, लेकिन दिल में मदीना की तस्वीर हमेशा मौजूद है। इस नात में मदीना की खुशबू, जन्नत की खूबसूरती, और नबी ﷺ की महानता को बड़े सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जो दिल को छू जाता है।

शायर ने अपने अश’आर में मदीना की खासियत और उसे छोड़ने की नापसंदगी को बहुत अच्छे ढंग से उजागर किया है। उन्होंने मदीना को जन्नत से भी खूबसूरत बताया है और इसकी मिठास और आध्यात्मिकता को चित्रित किया है जो कहीं और नहीं मिलती। यह नात एक ऐसी मोहब्बत का प्रतीक है जो हर मुसलमान के दिल में मदीना की महत्ता को अतुलनीय मानती है, और हाफिज कामरान कादरी ने इस मोहब्बत को बेहद दिलकश और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।