WhatsApp Join Naat Group

क्या बताऊँ कि क्या मदीना है / Kya batau ki Kya Madina Hai Lyrics Hindi

क्या बताऊँ कि क्या मदीना है
बस मेरा मुद्दआ मदीना है

क्या बताऊँ कि क्या मदीना है

उठ के जाऊँ कहाँ मदीने से
क्या कोई दूसरा मदीना है

क्या बताऊँ कि क्या मदीना है

उस की आँखों का नूर तो देखो
जिस का देखा हुवा मदीना है

क्या बताऊँ कि क्या मदीना है

दिल में अब कोई आरज़ू ही नहीं
या मुहम्मद है या मदीना है

क्या बताऊँ कि क्या मदीना है

दुनिया वाले तो दर्द देते हैं
ज़ख़्मी दिल की दवा मदीना है

क्या बताऊँ कि क्या मदीना है

दुनिया वाले तो दर्द देते हैं
दर्दे दिल की दवा मदीना है

क्या बताऊँ कि क्या मदीना है

मेरे आक़ा मुझे बुला लीजिए
मुझ को भी देखना मदीना है

क्या बताऊँ कि क्या मदीना है

दिल फ़िदा है मदीने वाले पर
दिल मुनव्वर मेरा मदीना है

क्या बताऊँ कि क्या मदीना है

नात ख़्वां
अज़मत रज़ा भागलपुरी


नात “Kya batau ki Kya Madina Hai” का रिव्यू – अजमत रज़ा भागलपुरी

अजमत रज़ा भागलपुरी ने नात “क्या बताऊँ कि क्या मदीना है” में मदीना की रूहानी अज़मत और हुस्न को बहुत ही खूबसूरती से बयान किया है। हर मिसरा में “क्या बताऊँ कि क्या मदीना है” का तक़रार सुनने वाले के दिल पर गहरा असर छोड़ता है, जो मदीना की बेमिसाल अज़मत और इश्क़ को उजागर करता है। ये हर शेर एक आशिक-ए-रसूल ﷺ के जज़्बात और उनकी तलब का इज़हार है।

मिसरे जैसे “ज़ख़्मी दिल की दवा मदीना है” मदीना को एक ऐसी जगह के तौर पर पेश करते हैं जहाँ दिलों को सुकून और राहत मिलती है। इसी तरह “या मोहम्मद है या मदीना है” के अल्फ़ाज़ नबी करीम ﷺ और मदीना पाक के साथ ना तोड़ मोहब्बत और लगाव को दिखाते हैं। हर अल्फ़ाज़ एक मोमिन के दिल में इश्क-ए-रसूल ﷺ और मदीना की याद के जज़्बात जगाता है।

अजमत रज़ा भागलपुरी की पुरसोज़ आवाज़ और दिलचस्प अंदाज़ नात को और भी दिलकश बना देते हैं। इस नात को सुनकर दिल में मदीना जाने की ख़्वाहिश और इश्क-ए-रसूल ﷺ की तड़प और बढ़ जाती है। ये नात यक़ीनन एक लाज़वाल शाहकार है जो सुनने वाले के दिल और रूह को गहरे तौर पर मुतास्सिर करती है।